Tuesday, August 17, 2010

जितने भी तय करते गये बढ़ते गये ये फासले ...libaas

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सिली हवा छू गयी सिला बदन छिल गया
नीली नदी के परे गीला सा चाँद खिल गया !

तुमसे मिली जो जिंदगी हमने अभी बोई नही
तेरे सिवा कोई न था तेरे सिवा कोई नही !

जितने भी तय करते गये बढ़ते गये ये फासले
मीलों से दिन छोड़ आये सालों से रात लेके चले !
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